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रविवार, 29 मई 2022

Back Door Entry Latest Court Updates | बैक डोर इंट्री से पद पर बने रहने का नहीं मिलता अधिकार - हाईकोर्ट

मई 29, 2022
Back Door Entry Latest Court Updates | बैक डोर इंट्री से पद पर बने रहने का नहीं मिलता अधिकार - हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दूसरे के लिए सुरक्षित पद पर कार्यरत रहने और बाद में नियमित होने पर पेंशन आदि निर्धारण में अस्थाई सेवाएं जोड़ने से इंकार के आदेश को सही माना है। एकल पीठ द्वारा याचिका खारिज करने के आदेश को सही करार दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी व न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने जंगपाल की अपील को खारिज करते हुए दिया है।



कोर्ट ने कहा याची की नियुक्ति सरप्लस कर्मचारियों के लिए आरक्षित पद पर अस्थाई रूप से की गई थी, जो एक माह की नोटिस पर कभी भी समाप्त की जा सकती है। सरप्लस कर्मचारी के न होने पर ही उसकी नियुक्ति हो सकती थी। विभाग में 13 सरप्लस कर्मचारियों को समायोजित किया जाना बाकी था। इसमें याची की नियुक्ति बैक डोर से कर दी गई। ऐसे में उसकी अस्थाई सेवाएं पेंशन आदि निर्धारण में नहीं जोड़ी जा सकती। विभाग ने पेंशन के लिए निर्धारित सेवा पूरी न होने से सेवानिवृत्त होने पर पेंशन आदि देने से इंकार कर दिया गया था। उसे चुनौती दी गई थी।


सेवा नियमों के तहत नहीं की गई थी याची की नियुक्ति


मामले के अनुसार याची की नियुक्ति अस्थाई कर्मचारियों के रूप में एक अगस्त 1990 को सीएमओ लेबर मेडिकल सेवा सासनी गेट अलीगढ़ में वार्डब्वाय के रूप में की गई थी। उसे सेवा से हटा दिया गया। हाई कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी। बाद में गठित कमेटी की रिपोर्ट पर उसकी सेवा को नियमित कर दी गई। याची 31 जनवरी 2020 को सेवानिवृत्त हो गया। संयुक्त निदेशक आगरा ने 10 वर्ष सेवा न होने के कारण पेंशन आदि देने पर आपत्ति की। कहा कि याची की नियुक्ति सेवा नियमों के तहत नहीं की गई थी। इसलिए अस्थायी सेवाएं नहीं जोड़ी जाएगी।


याची का कहना था कि प्रेम सिंह केस के फैसले के तहत अस्थाई सेवाएं पेंशन निर्धारित करने में जोड़ी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा प्रेम सिंह केस याची के मामले में लागू नहीं होगा। वह वर्कचार्ज कर्मचारी नहीं था। वह दूसरे के लिए आरक्षित पद पर कार्यरत था। उस पद पर बने रहने का उसे कानूनी अधिकार नहीं था।