कार्मिक विभाग की 1974 की नियमावली में संशोधन की तैयारी, मृतक आश्रितों की नौकरी की अड़चनें होंगी दूर, Amendment in rules of 1974 of Personnel Department
लखनऊ। कोविड महामारी से मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों को नौकरी देने में आ रही दिक्कतों को दूर किया जाएगा। सरकार इसके लिए यूपी सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 (यथासंशोधित) के प्रावधानों में संशोधन करने जा रही है। इससे संबंधित कैबिनेट प्रस्ताव पर विभागों के बीच विचार-विमर्श शुरू हो गया है।
कोरोना से कई विभागों में समूह ख और क के कई अधिकारियों की मृत्यु हुई है। उनके आश्रितों को समूह ग की नौकरी दी जानी है दिक्कत यह है कि मृत कार्मिक से संबंधित विभाग में समूह 'ग' के इतने पदों को आवश्यकता ही नहीं है, जितनी भर्ती की जरूरत है। वहीं दूसरे विभागों में समूह 'ग' में के पद रिक्त पड़े हैं। सूत्रों का कहना है कि इस समस्या के समाधान के लिए जिन विभागों में अधिक संख्या में समूह 'ग' के पद रिक्त है, उनमें दूसरे विभागा (जहां पद उपलब्ध नहीं हैं) से जुड़े मृत कार्मिकों के आश्रितों को नौकरी देने के प्रावधान पर विचार किया जा रहा है। शासन ने इसके लिए भर्ती नियामवली में संशोधन से संबंधित कैबिनेट प्रस्ताव पर 51 विभागों से राय मांगी है।
एक वर्ष में दक्षता पूरी न हुई तो नौकरी पर खतरा
इसी तरह समूह 'ग' के कई पदे पर टकन दक्षता कंप्यूटर ज्ञान से संबंधित प्रमाणपत्र आवश्यक है। दक्षता में कमी पर विशेष परिस्थितियों में एक वर्ष का समय देकर दाहल करने का अवसर दे दिया जाता है। आगे बढ़ाया जाता रहता है। इससे कार्मिक लंबे समय तक दक्षता हासिल नहीं कर पाते अब प्रस्ताव है कि यदि टंकण या कंप्यूटर संबंधी आवश्यक दक्षता एक वर्ष में हासिल नहीं हो पाएगी तो चपन निरस्त हो जाएगा। विशेष परिस्थितियों में छह महीने का समय जरूर दिया जाएगा लेकिन इसकी सहमति कार्मिक विभाग से लेनी होगी।
विवाहित बेटी को मृतक आश्रित के लाभ पर भी प्रस्ताव
कुछ विभागों में भर्तियां विवाहित बेटियों का मृतक आश्रित माने जाने के विवाद में अटकी है। बेटी की नौकरी के मामले में उत्तराधिकारी न माने जाने का प्रावधान होने का हवाला देकर नौकरी नहीं दी जा रही है। इन्हें नौकरी मिल सकती है नहीं संबंध में न्यायालयों से परम्पर विरोधी फैसले आ चुके हैं। ऐसे में सरकार न्यायालयों के नवीनतम निर्णयों का अध्ययन कर नियमों में समुचित प्रावधान पर विचार कर रही है। इसके लिए न्याय विभाग से परामर्श किया जा रहा है।