5.45 करोड़ का घोटाला फर्जी पेंशन पेमेंट ऑर्डर से, हरदोई कारागार विभाग का मामला, फंसेंगे कई बड़े अधिकारी - fake pension payment order scam
लखनऊ। हरदोई के कारागार में तीन हैरतअंगेज तरीकों से 5.45 करोड़ रुपये का घपला किया गया था। फर्जी पेंशन पेमेंट ऑर्डर (बीपीओ) तैयार करके खातों में राशि भेजी गई। वास्तविक पेंशनरों के नाम के आगे फर्जी खाता संख्या दर्ज कर और एक कर्मचारी के स्वयं के व उसकी पत्नी के संयुक्त खाते में धनराशि ट्रांसफर की गई। आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा विभाग की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया गया है। शासन भी मामले की उच्चस्तरीय जांच करा रहा है, जिसमें कई बड़े अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है। वर्ष 2009-16 के बीच हरदोई के कारागार में यह गबन किया गया। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि इन वर्षों के पेंशन पेमेंट स्टेटमेंट की गहन जांच में पता चला कि फर्जी बीपीओ तैयार किए गए थे। रिकॉर्ड में एक ही खाता संख्या पर खाताधारक का नाम अलग-अलग मिला।उदाहरण के तौर पर दो अलग-अलग क्रमांकों पर छोटेलाल और छोटे सिंह का नाम दिया गया, पर उनका बैंक खाता समान ही मिला।
ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल बीपीओ, इंडेक्स पंजिका और कैलकुलेशन शीट कारागार हरदोई में उपलब्ध नहीं है। इंडेक्स रजिस्टर भी मेंटेन नहीं मिला। भिन्न-भिन्न नामों से फर्जी पीपीओ नंबर अंकित कर बैंक खातों में कारागार से राशि आहरित कर भेजी गई। इस तरह 90 आर्मी पेंशनरों के नाम से 5 करोड़ 3 लाख 11 हजार 722 रुपये का घपला किया गया। घपले के इस पहले तरीके में पेंशनर और पीपीओ फर्जी थे।
घपले के दूसरे तरीके में कर्मचारी राकेश कुमार सिंह ने स्वयं के खाते में और पत्नी के साथ संयुक्त खाते में 3519421 रुपये ट्रांसफर किए। इसमें 12 वास्तविक पेंशनर्स का नाम दिखाया गया, पर खाता संख्या राकेश कुमार सिंह और उसकी पत्नी मधुलता सिंह का था। राशि अंतरित करने के बाद वास्तविक पेंशनर्स का पहले वाला खाता ही रिकॉर्ड में फीड कर दिया गया। कारागार में खाता संख्या बदलने का डाटा संरक्षित नहीं मिला।
घपले के तीसरे तरीके में राकेश कुमार सिंह व उसकी पत्नी मधुलता सिंह के नाम खोले गए खातों में कोषागार से 7,12,738 रुपये आहरित कर भेजे गए। इस तरह करीब 5.45 करोड़ का गबन किया गया। इस मामले में शासन भी उच्चस्तरीय जांच करा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि ट्रेजरी ऑफिसर के लॉगइन और उसके मोबाइल नंबर पर भेजे गए ओटीपी का पता किए बिना घपला संभव नहीं था। इसलिए इसमें बड़े अधिकारियों की मिलीभगत भी तय है। हालांकि, पूरी स्थिति साफ होने के लिए जांच रिपोर्ट का इंतजार करना होगा।